बांग्लादेश में कोटा सिस्टम के खिलाफ प्रोटेस्ट चल रहा था। बांग्लादेश यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मीर मुग्धो ढाका में प्रोटेस्ट कर रहे स्टूडेंट तक खाना, पानी और बिस्कुट पहुंचा रहे थे। तभी पुलिस ने फायरिंग कर दी। मुग्धो को गोली लगी और उनकी मौत हो गई। मुग्धो की मौत से स्टूडेंट्स भड़क गए। यहीं से भड़का प्रोटेस्ट शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद ही थमा।
बांग्लादेश में स्टूडेंट प्रोटेस्ट के दौरान 4 अगस्त तक 328 लोगों की मौत हुईं। इनमें 9 मासूम बच्चे और 41 स्टूडेंट्स थे। आरोप है कि इनमें से ज्यादातर मौतें पुलिस और फोर्स की फायरिंग की वजह से हुईं।
बांग्लादेश में प्रोटेस्ट के वक्त के कई वीडियो सामने आए हैं। उनमें पुलिस प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करती नजर आ रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए घातक हथियारों का इस्तेमाल किया।
ब्रिटेन और कनाडा सरकार ने बांग्लादेश में हुई हिंसा और विरोध प्रदर्शनों की यूनाइडेट नेशन से जांच कराने की मांग की है। UN के महासचिव एंटोनियो गुटरेस के एक स्पोक्सपर्सन ने कहा कि वे नस्लीय आधार पर होने वाले किसी भी तरह के हमले या हिंसा भड़काने के खिलाफ हैं।

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