पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भीख मांगने को दंडनीय अपराध बनाने के खिलाफ लॉ छात्र द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह प्रावधान मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली के कानून और पंजाब के कानून की तुलना करने तथा दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व आदेश को रिकॉर्ड पर देने का निर्देश दिए है।  

लुधियाना के लॉ छात्र प्रणव धवन ने दायर इस याचिका में मुख्य एक्ट और ‘मिशन बेगर फ्री लुधियाना’ के अंतर्गत कई धाराओं को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करते हैं, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत, जो हर नागरिक को आजीविका का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी बच्चे को भीख मांगते पकड़ा जाता है, तो उसे उसके माता-पिता से दूर करने का प्रावधान कैसे उचित हो सकता है, जिसके चलते बच्चे के अन्य अपराधियों के संपर्क में आने का खतरा भी बढ़ सकता है।  

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही इस तरह के कानून को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में निर्णय लेने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट के उस जजमेंट और दोनों कानूनों का गहन अध्ययन किया जाएगा।  
याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि कानून के इस प्रावधान में बदलाव किया जाए ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके। यदि उन्हें दंडित किया गया तो इसका सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव बच्चों पर पड़ सकता है, जिससे उनकी भलाई पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है। इस मामले में अदालत का अगला कदम और निर्णय सुनने के लिए सभी की निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हुई हैं।

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