गांव छपरा के युवक से गांव कामी के रहने वाले पिता-पुत्र ने वर्क वीजा पर जर्मनी भिजवाने का झांसा देकर साढ़े आठ लाख रुपये ठग लिए। आरोपितों ने उसे रसिया व आर्मीनिया भेजा लेकिन जर्मनी नहीं भेजा। आरोपितों ने उसके आर्मीनिया जाने के बाद फोन उठाना बंद कर दिया। वह खुद टिकट करवाकर वापस आया और आरोपितों ने मिला। आरोपितों ने 13.50 लाख रुपये में से पांच लाख रुपये वापस दिए लेकिन बाकी के पैसे देने से मना कर दिया। उसने पुलिस आयुक्त को शिकायत दी, जिसके बाद बरोदा थाना में मामला दर्ज किया गया।
गांव छपरा के गौरव ने पुलिस को बताया कि गांव कामी का रितेश व उसके पिता सुरेंद्र युवकों को विदेश में काम करने के लिए वर्क वीजा लगवाने का झांसा देकर पैसे ठगते हैं। अगस्त 2023 में गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से उसकी पहचान पिता-पुत्र से हुई थी। दोनों ने उसे वर्क वीजा पर जर्मनी भिजवाने का वादा किया। इसके लिए 13.50 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। उसके बाद उसे गांव कामी बुलाया गया और दस्तावेज के लिए 50 हजार रुपये मांगे। उसने पैसे दे दिए। कुछ दिन बाद नकद 13 लाख रुपये लिए गए। कुछ दिन बाद उसका रसिया का वीजा लगवा दिया गया। उसे कहा गया कि रसिया से वापस आने के बाद जर्मनी का वीजा लगेगा। वह पिछले वर्ष अक्टूबर में रसिया जाकर वापस आ गया था। इसके बाद आरोपितों ने कहा कि अब कुछ दिन के लिए आर्मीनिया जाना पड़ेगा और उसका वीजा लगवा दिया गया। वह नवंबर में आर्मीनिया गया तो आरोपितों ने उसे एक होटल में ठहराया। वे तीन महीने तक कहते रहे अब तुझे आस्ट्रेलिया जाना होगा, जिसके बाद जर्मनी का वीजा क्लीयर होगा। उसके पास वाट्सएप पर आस्ट्रेलिया का वीजा भेजा गया। उसने पिता व पुत्र को आर्मीनिया से वापस आने की टिकट भेजने को कहा। कुछ दिन बाद उससे बात करनी बंद कर दी गई। उसने अपने स्वजन से टिकट के पैसे मंगवाए और वह फरवरी 2024 में भारत आया। इसके बाद वह अपने भाई के साथ आरोपितों से उनके गांव जाकर मिला और बताया कि तुमने आस्ट्रेलिया का फर्जी वीजा भेजा था। उसे कहा कि एक महीने में आपका काम हो जाएगा। जब काम नहीं करवाया तो आरोपितों ने उसके पांच लाख रुपये वापस लौटा दिए। बाद में साढ़े आठ लाख रुपये मांगे गए तो आरोपितों ने कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं और उसने पास आया तो जान से मार देंगे।