नशा समाज के लिए ऐसा दीमक है जो समय से पहले ही जीवन को समाप्त कर रहा है। नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति न केवल अपनी शारीरिक हानि करता है बल्कि अपने परिवार के साथ-साथ सामाजिक वातावरण को भी दूषित करता है। आज देश में नशीली दवाओं का अवैध कारोबार एक गंभीर समस्या है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ पुलिस ने 15 करोड़ रुपये की नशीली दवाओं का सामान नष्ट कर दिया| इसमें करीब 15,000 किलो गांजा, 62,000 गोलियां, इंजेक्शन, 48 किलो अफीम और 400 ग्राम चरस शामिल है| उन्हें सिलतारा निजी बिजली संयंत्र में 1200 डिग्री के तापमान पर जला दिया गया है। ये नशीली दवाएं पांच जिलों रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद और धमतरी में एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त की गईं। उन्हें खत्म करने के लिए, संघीय आंतरिक मंत्रालय और ड्रग प्रवर्तन एजेंसी की मंजूरी के साथ एक उच्च स्तरीय एंटी-ड्रग टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी।
सबसे ज्यादा गांजा और अफीम रायपुर में पाए गए
बता दें कि रायपुर जिले के 157 मामलों में 2,000 किलोग्राम गांजा, 58,000 नशीली गोलियां, सिरप, इंजेक्शन, अफीम और 205 ग्राम चरस शामिल है।
सबसे ज्यादा गांजा महासमुंद में
बताया जा रहा है कि 24 मामलों में बलौदाबाजार में 1000 किलो गांजा और 960 नशीली गोलियां मिलीं| कुल 121 मामलों में महासमुंद में 10,000 किलोग्राम गांजा और धमतरी के 36 प्रकरणों में 412 किलोग्राम गांजा और 2,451 गोलियां थीं। साथ-ही-साथ बता दें कि इसके अलावा, गरियाबंद के 31 मामलों में 1014 किलोग्राम गांजा और 253 नशीली गोलियां मिलीं।
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमोदित
पुलिस को पर्यावरण मंत्रालय से इन दवाओं को जलाने की इजाजत मिल गई थी. ताकि जनसंख्या के स्वास्थ्य को ख़तरा न हो। अन्यथा उनका उचित निस्तारण किया जा सकेगा।