Old Pension Scheme: कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) चुनने की अनुमति दी है. लेकिन यह सुविधा सिर्फ उन कर्मचारियों को मिलेगी, जिन्होंने नवंबर 2005 से पहले जारी किए गए विज्ञापनों के आधार पर राज्य सरकार के लिए नौकरी हासिल की है. पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कुछ दिनों बाद यह फैसला आया है.
सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले चीफ मिनिस्टर ऑफिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कैबिनेट की बैठक में उन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प देने का निर्णय लिया गया है. ये 1 नवंबर 2005 से पहले के विज्ञापन के अनुसार 1 नवंबर 2005 या उसके बाद सरकारी सेवा में आए थे. बयान में आगे कहा कि ऐसे सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को केंद्र सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र सिविल सेवा पेंशन नियम, 1982, महाराष्ट्र सिविल सेवा पेंशन नियम, 1984 और सामान्य भविष्य निधि और सहायक नियमों के प्रावधानों को लागू करने का एकमुश्त विकल्प दिया जा रहा है.सीएमओ नोट में आगे कहा गया है कि संबंधित राज्य सरकार के कर्मचारियों को सरकारी निर्णय के प्रकाशन से छह महीने की अवधि के भीतर OPS लागू करने का विकल्प देना होगा.
पुरानी पेंशन स्कीम vs नई पेंशन स्कीम
नवंबर 2005 से पहले सेवा में शामिल हुए कम से कम 9.5 लाख राज्य कर्मचारी हैं, जो पहले से ही OPS का लाभ उठा रहे हैं. OPS के तहत एक सरकारी कर्मचारी को उनके अंतिम सैलरी (रिटायरमेंट के समय सैलरी) के 50% के बराबर मासिक पेंशन मिलती थी. साथ ही इसमें कर्मचारियों की तरफ से किसी भी तरह का योगदान नहीं किया जाता है. OPS को 2005 में बंद कर दिया गया था.
नई पेंशन योजना (NPS) के तहत एक राज्य सरकार का कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% और महंगाई भत्ते (DA) का योगदान देता है, जिसमें राज्य भी उतना ही योगदान देता है. फिर पैसा पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) की तरफ से अप्रूव्ड कई पेंशन फंड्स में से एक में निवेश किया जाता है और रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है.