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भिवानी के डीफ एवं डंब खिलाड़ी जसपाल व अमित ने दिव्यांगता को बदला वरदान में
10वी एशिया पैसीफिक डीफ गेम में सिल्वर व ब्रांज मैडल लेकर लौटे भिवानी के खिलाड़ी
भिवानी पहुंचने पर खिलाडिय़ों का हुआ भव्य स्वागत
खिलाडिय़ों ने मैडल लेकर दिव्यांगता को बनाया वरदान, दिया आगे बढऩे का संदेश
जसपाल ने शॉटपुट में सिल्वर व डिस्कस थ्रो में ब्रांज मैडल हासिल कर देश को दिलाए दो मैडल
अमित ने कुश्ती में ब्रांज मैडल लेकर देश का नाम किया रोशन
भिवानी के आस्था स्पेशल स्कूल के दोनों विद्यार्थियों का भिवानी पहुंचने पर हुआ भव्य स्वागत
खिलाडिय़ों के परिजनों ने माना : दिव्यांगता नहीं है अभिशाप, उनके बेटे इस बात का है प्रमाण
विजेता दिव्यांग खिलाडिय़ों ने कहा : वर्ष 2025 के पैरा ओलंपिक में देश को गोल्ड मैडल दिलाना अगला लक्ष्य
भिवानी, 12 दिसंबर : यदि व्यक्ति का हौसला व जज्बा मजबूत हो तो किसी भी प्रकार की कमी आपको पीछे नहीं धकेल सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, भिवानी के दो खिलाडिय़ों ने जो डीफ एवं डंब होने के बावजूद 10वें एशिया पैसीफिक खेलों में सिल्वर व ब्रांज मैडल जीतकर लाए है। भिवानी के दिव्यांग खिलाडी जसपाल ने एक से 8 दिसंबर तक मलेशिया के कोलालांपुर में आयोजित हुई 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ गेम में शॉटपुट गेम में देश के लिए सिल्वर जीता तथा डिस्कस थ्रो में इसी खिलाड़ी ने ब्रांज मैडल देश को दिलाने का कार्य किया। वही भिवानी के दूसरे खिलाड़ी अमित ने कुश्ती में ब्रांज मैडल दिलाकर गौरव बढ़ाया है। भिवानी के ही तीसरे खिलाड़ी रूपेश ने जैवलिन में दुनिया में सातवां स्थान प्राप्त किया। कमर में झटका लगने के चलते रूपेश मैडल नहीं ले पाए।
     भिवानी पहुंचे 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ खेल के मैडलिस्ट खिलाडिय़ों का उनके पैतृक जिला भिवानी में पहुंचने पर ढ़ोल-नंगाड़ों व फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। खुली जीप में बैठाकर खेल प्रेमी शहर में घूमे तथा इन खिलाडिय़ों की उपलब्धि का जश्र मनाया। बोलने व सुनने में अक्षम इन खिलाडिय़ों में जसपाल की माता मीना व पिता अशोक व आस्था स्पेशल स्कूल में उनकी अध्यापिका सुमन शर्मा ने बताया कि इन खिलाडिय़ों ने हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। सुनने व बोलने में अक्षम होने के बावजूद भी इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि हासिल की है। इन खिलाडिय़ों का अगला उद्देश्य 2025 के पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मैडल लेना है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग का अर्थ होता है, जिनमें कुछ विशेषताएं है। जिनके बूते पर ये आगे बढ़ सकें। इन खिलाडिय़ों ने अपनी दिव्यांगता से ऊपर उठकर देश का नाम रोशन किया है। इनके परिजनों ने बताया कि उन्हे कही भी अपने बच्चों की दिव्यांगता महसूस नहीं होती। उन्होंने बताया कि जसपाल पिछले तीन वर्षो से प्रैक्ट्सि कर रहा है तथा शॉटपुट व डिस्कस थ्रो की कोचिंग भी करता है।
    वही 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ गेम में कुश्ती खेल में ब्रांज मैडल हासिल करने वाले अमित के पिता हरज्ञान ने बताया कि उन्हे अपने बेटे की उपलब्धि पर खुशी है। वह पहली बार विदेश में खेलने गया था तथा इसकी अगली तैयारियां 2025 के पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मैडल को लेकर रहेंगी।

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