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भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट बनना देश सेवा, कड़ी मेहनत, अनुशासन और साहस का प्रतीक है तथा तीसरी पीढ़ी तक यह परंपरा चलना परिवार की देश सेवा की ढृढ़ता और समर्पण का प्रमाण है। देश सेवा का ऐसा ही अनोखा जज्बा गांव अजीतपुर में देखने को मिला, जहां गांव के युवा नवीन कुमार का चयन भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट के पद पर हुआ है। नवीन कुमार अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के युवा है, जो भारतीय सेना में शामिल हुए है। यही नहीं नवीन कुमार गांव के पहले ऐसे युवा है, जो सेना में लेफ्टीनेंट बने है। जिसके चलते वह गांव के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने है। नवीन की उपलब्धि एवं देश सेवा के प्रति उनके परिवार को जज्बे से गदगद ग्रामीणों ने उनका गांव में पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने खुली जीप में बैठाकर, फूल-मालाओं से नवीन कुमार का स्वागत किया। 
           गौरतलब होगा कि भारतीय सेना की 37 कूर्ग तोपखाना रेजिमेंट में लेफ्टीनेंट बने नवीन कुमार के दादा स्व. शीशराम यादव भी 72 मीडियम तोपखाना रेजिमेंट से थे तथा वर्ष 1981 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 1984 से 2002 तक सीआईएसएफ में सेवारत रहे। इसके अलावा उनके पिता सतीश कुमार 1996 से 2018 तक 11 कुमाऊं से भूतपूर्व सैनिक हैं और वर्तमान में हरियाणा सरकार में सहायक के पद पर कार्यरत हैं। नवीन के चाचा मंजीत यादव बीएसएफ की 59वीं वाहिनी से हैं। उनकी बहन नोएडा में एक एमएनसी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत है। जिसके चलते ना केवल उनके परिजनों, बल्कि समस्त गांव में खुशी का माहौल है। वही बात करें नवीन की शिक्षा की तो उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय सैन्य स्कूल चहल शिमला (हिमाचल प्रदेश) से की और एनआईटी हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) से बीटेक में स्नातक किया। जिसके बाद नवीन ने आईएमए देहरादून से डेढ़ साल तक प्रशिक्षण लिया और प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद 37 कुर्ग रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली, जो भारतीय सेना की सबसे पुरानी और बेहतरीन रेजिमेंटों में से एक है। अब नवीन कुमार गांव के पहले लेफ्टीनेंट बने है।
       अपनी बेटे की सफलता से गदगद नवीन कुमार के पिता सतीश कुमार व माता अनिता देवी ने कहा कि नवीन की रूचि हमेशा से ही भारतीय सेना में जाने की थी तथा अपने सपने को पूरा करने के लिए नवीन ने अपनी मेहनत में कोई कसर नही छोड़ी तथा उसकी मेहनत का परिणाम उसे सफलता के रूप में मिला। उन्होंने कहा कि नवीन भले ही गांव का पहला लेफ्टीनेंट हो, लेकिन उन्हे पूरा भरोसा है कि यह तो बस एक शुरूआत है। क्योंकि नवीन की उपलब्धि गांव के अन्य युवाओं को प्रेरित करेगी तथा वे भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी मेहनत एवं लग्न से आगे बढ़ेंगे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नशे जैसी साीमाजिक बुराईयों से दूर रहते हुए शिक्षा व खेलों को अपनाएं तथा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करें। 
       इस मौके पर भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट बने नवीन कुमार ने कहा कि उन्हे भारतीय सेना में भर्ती होने की प्रेरणा अपने दादा से मिली। उसके बाद जब वे अपने पिता को भारतीय सेना की वर्दी में देखते थे तो उनके मन में भी यह बात रहती थी कि वे भी एक दिन भारतीय सेना में भर्ती होकर अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। नवीन ने बताया कि उनकी सफलता मे उनके परिवारजनों की बराबर की मेहनत है तथा उनके परिवारजनों के त्याग एवं मेहनत की बदौलत उनका सेना में भर्ती होने का स्वप्र पूरा हो पाया है। 

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