अमेरिकी सैनिकों द्वारा उन्हें हटाए जाने के बीस साल बाद, 2021 में तालिबान अफ़गानिस्तान की सत्ता में वापस आ गया था, महिलाओं और धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का सम्मान करने के वादे के बावजूद तालिबान ने इस्लामी कानून की कठोर व्याख्या लागू की है। इस बीच, जब वे एक विद्रोही समूह से एक कार्यात्मक सरकार में परिवर्तित हो गए, तो तालिबान ने अफ़गानों को पर्याप्त खाद्य आपूर्ति और आर्थिक अवसर प्रदान करने के लिए संघर्ष किया। अब तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए नए कानून लागू किए हैं। सख्त दिशानिर्देशों के तहत महिलाओं को घर से बाहर बोलने पर प्रतिबंध है, साथ-ही-साथ महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर अपने शरीर और चेहरे को हमेशा मोटे कपड़े से ढकने का आदेश दिया गया।

तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने नए कानूनों को मंजूरी दे दी। ये कानून दो श्रेणियों में आते हैं: हलाल और हराम। संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के इस फैसले की कड़ी निंदा की, इसके अलावा कई मानवाधिकार संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई| बताया जा रहा है कि लोगों के मन को भटकने से रोकने के लिए नए कानून पारित किए गए हैं। अंग्रेजी अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने हालांकि इन कानूनों को पारित करने का कारण बताया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पुरुषों का दिमाग महिलाओं की आवाज के बीच भी भटक सकता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर बोलने से बचना चाहिए| तालिबान ने महिलाओं के घर में तेज़ आवाज़ में गाने और पढ़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि नए कानूनों का उल्लंघन करने की दोषी पाई जाने वाली महिलाओं और लड़कियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। वहीं इस बार तालिबान ने पुरुषों पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। पुरुषों को भी घर से बाहर निकलते समय अपने शरीर को घुटनों तक ढकना चाहिए।

 

 

इस साल की पहली ऐसी कुछ घटनाएँ 

तालिबान सरकार के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने इस साल मार्च में महिलाओं को निशाना बनाते हुए एक फरमान जारी किया था। इस फरमान के मुताबिक, व्यभिचार का दोषी पाई गई किसी भी महिला को पत्थर मारकर मार डाला जाएगा। एक ऑडियो संदेश में हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने पश्चिमी देशों के लोकतंत्र पर सवाल उठाया और इस्लामी शरिया कानून का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया। उसने कहा कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है जब हम उन्हें पत्थर मारकर मार देते हैं, लेकिन व्यभिचार के लिए ऐसी सजा जल्द ही पेश की जाएगी। दोषी महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़ों और पत्थरों से पीटा जाएगा। हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने आगे बयान देते हुए कहा कि जब काबुल वापस ले लिया तब काम खत्म नहीं हुआ था, वे शांत नहीं बैठेंगे और चाय नहीं पियेंगे, वे अफगानिस्तान में शरिया कानून जरूर वापस लाएंगे।इस साल जून में तालिबान ने समलैंगिक संबंधों के संदेह में 63 लोगों को कोड़े मारकर पीटा था, जिनमें लगभग 14 महिलाएं भी थीं| एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, इन व्यक्तियों को गबन, चोरी और अनैतिक संबंधों का दोषी ठहराया गया था। बता दें तालिबान समलैंगिकता को इस्लाम का उल्लंघन मानता है। उन्होंने पहले सरी ब्रिज के एक स्टेडियम में लोगों को इकट्ठा किया और फिर संदिग्ध को कोड़े मारे, तालिबान चाहता है कि लोग इस्लाम के रास्ते पर चलें| उन्होंने लोगों को धमकी भी दी कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो उन्हें दंडित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने सज़ा की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून का उल्लंघन बताया था| 

आखिर क्या है शरिया कानून?

अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने देश में इस्लामिक कानून लागू करने का ऐलान किया| दरअसल, शरीयत इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक कानूनी व्यवस्था की तरह है। इसका इस्तेमाल कई इस्लामिक देशों में किया जाता है| हालाँकि, पाकिस्तान सहित अधिकांश इस्लामिक देशों में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी तक पहुंचने वाले कई महत्वपूर्ण विषयों पर नियम शामिल हैं। शरिया में परिवार, वित्त और व्यवसाय से संबंधित कानून शामिल हैं। शरिया कानून के तहत मादक पेय, नशीली दवाओं का उपयोग और मानव तस्करी गंभीर अपराध हैं। इस कारण से, इन अपराधों के लिए सख्त दंडात्मक प्रावधानों के नियम हैं| 

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