जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है, मौसम बदलाव के कारण पशु भी बीमारी की चपेट में आने लगे है। जिससे दुधारू पशुओं की दुग्ध क्षमता घटने लगी है। ऐसे में सर्दी के मौसम में इंसानों के साथ-साथ पशुओं को भी ठंड से बचाना बहुत जरूरी है। विशेषकर दुधारू व छोटे पशुओं का ठंड में विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशुओं को ठंड की मार से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को आगाह किया है कि वे विशेष सावधानियां बरतकर अपने पशुओं को ठंड में बीमार होने से बचा सकते है।
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. रविंद्र सहरावत ने बताया कि ठंड के मौसम में विशेष तौर से छोटे पशु निमोनिया के शिकार हो जाते है तथा बड़े पशुओं में ठंड के लक्षण आने लगते है। जिसके चलते पशु के नांक से पानी गिरना शुरू हो जाता है, पशु का तापमान गिर जाता है, पशु चरना छोड़ देता है, निमोनिया के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। उन्होंने कहा कि दूध देने वाले पशुओं को व ब्याने वाले पशुओं को सामान्य पशु से ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। इसके लिए उसका खाना बढ़ाना चाहिए। डा. रविंद्र सहरावत ने बताया कि ठंड से पशुओं का बचाव करके ही पशुपालक उन्हे बीमार होने से बचा सकते है।
ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशु चिकित्सक डा. विजय सनसनवाल ने बताया कि बाड़े के चारों तरफ ढक़कर रखे, बाड़े में पशुओं के मूत्र को एकत्रित ना होने, सफाई का विशेष ध्यान रखे, पशु के ऊपर भी कंबल इत्यादि डालकर रखे, धूप निकलने पर ही पशु को बाहर निकाले, ज्यादा ठंड होने पर बाड़े को रात को गर्म करके रखे, बाड़े में घुटन ना हो इसके लिए उसे हवादार भी बनाए रखे, पशु के बांधने के स्थान पर तूड़ा, बाजरे के बुमले या पराली इत्यादि भी नीचे डालकर रखे और हर रोज इसकी सफाई करें, पशु को सामान्य तापमान का पानी पिलाए, जोहड़ी इत्यादि में पशु को पानी पिलाने से परहेज करें,पशु को तूड़ा ज्यादा मात्रा में खिलाए, हर रोज पशु को 250 ग्राम गुड़ व 50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य खिलाए, छोटे पशुओं को उचित मात्रा में दूधपिलाए, पशुओं को समय-समय पर कृमिरहित भी करते रहे, पशु के ब्याने के बाद 3-4 दिन तक पूरा दूध ना निकाले, नहीं तो पशु सुनपात में आ सकता है। पशुपालक बलविंद्र ने कहा कि ठंड से पशुओं को बचाने के लिए उपाय बताए गए है, जो कि पशुपालकों के लिए काफी लाभकारी साबित होंगे।