अयोध्या के कैंटोनमेंट बोर्ड में 25 करोड़ के घोटाला को लेकर CBI रेड जारी है। दो गाड़ियों से कैंटोनमेंट बोर्ड के दफ्तर पहुंचे CBI अफसर दस्तावेज खंगाल रहे हैं। उन्हें क्या गड़बड़ियां मिली हैं? यह अभी खुलकर नहीं कहा गया है। मगर, CBI के अफसरों ने बंद कमरे में कर्मचारियों से पूछताछ की है।
दरअसल, सपा के पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे ने 17 अगस्त, 2024 को पूरा मामला खोला। उन्होंने कहा- कैंटोनमेंट बोर्ड में नियुक्ति और टेंडर को लेकर बड़ा घोटाला हुआ। 3 साल में 9 कंपनियों ने टेंडर हासिल करने के लिए डीएम अयोध्या और आगरा के दफ्तर में फर्जी दस्तावेज लगाए। मनमाने तरीके से कर्मचारियों को रखने के लिए 74 कर्मचारियों को निकाल दिया गया। उन्हें नोटिस भी नहीं दी गई। करीब 25 करोड़ के टेंडरों में गड़बड़ी हुई है।

CBI की रेड के कारण 
1. 25 करोड़ के टेंडरों को जारी करने में गड़बड़ियां।
2. छावनी में नियुक्ति में गड़बड़ियां।

अमरजीत निषाद अयोध्या छावनी परिषद के पूर्व सभासद हैं। उन्होंने दिसंबर, 2023 को छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी के कार्यालय में टेंडर घोटाले की शिकायत की। सबूत के तौर पर उन्होंने टेंडर नंबर और कंप्यूटर के IP एड्रेस की डिटेल साझा की। उनके आरोप थे कि टेंडर जारी करते हुए जिन कंप्यूटर का इस्तेमाल विभाग के कर्मचारियों ने किया। उन्हीं कंप्यूटर से टेंडर ठेकेदारों ने भरे या विभाग के कर्मचारियों से ही भरवा दिए गए।

यह धांधली 2021 से लेकर 2024 के बीच हुई। RTI में सामने आया कि कंपनियों ने टेंडर लेने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए। यह कागज अयोध्या और आगरा डीएम ऑफिस में लगाए गए। छावनी के CEO तक को जो लेटर दिए गए, उनमें 9 कंपनियों के खिलाफ शिकायत की गई। यह सब टेंडर के पैसों की बंदरबांट के लिए किया गया। यह भी सामने आया कि जेम पोर्टल से खरीदारी में भी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। सामान का रेट मार्केट वैल्यू से दो से तीन गुना ज्यादा रखा गया।

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