हरियाणा में पानीपत से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है जहां जीटी रोड़ स्थित ओस्कार अस्पताल में एक युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई। हॉस्पिटल में युवक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने और गलत इलाज करने के भी गंभीर आरोप लगाए। यहां तक की परिजनों व अस्पताल के स्टाफ में धक्का-मुक्की तक हो गई। हंगामे की सूचना पर सेक्टर-13-17 थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने परिजनों को शांत किया और डॉक्टर से पूरे मामले के बारे में पूछताछ की। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जिला नागरिक अस्पताल में भिजवाया। पुलिस ने परिजनों का बयान दर्ज कर पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है। इस मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन ने तीन डॉक्टरों की एक कमेटी का गठन किया। कमेटी की रिपोर्ट में मामले में आगामी कार्रवाई की जाएगी।
गढ़ी सिकंदरपुर गांव निवासी नवीन कुमार ने बताया कि वह तीन भाई थे। उसके बड़े भाई प्रवीण (23) की दो साल पहले शादी हुई थी। प्रवीण पेशे से एक टैक्सी ड्राइवर था। प्रवीण को 31 दिसंबर को पैर व हाथ सुन्न होने की समस्या हुई थी। वह प्रवीण को 17 जनवरी को जीटी रोड स्थित ओस्कार अस्पताल में लेकर आए थे। यहां पर डॉ. सुशांत दत्त ने प्रवीण की एमआरआई (MRI) कराई।
डॉ. सुशांत ने बताया कि प्रवीण के दिमाग में पानी भर गया है। उसके दिमाग की नसें भी कमजोर हो गई है। उन्होंने प्रवीण के ऑपरेशन के लिए कहा। उन्होंने आयुष्मान चिरायु योजना के तहत प्रवीण का ऑपरेशन किया। डॉ. सुशांत ने उन्हें कहा था कि ऑपरेशन के बाद प्रवीण को छह घंटे के बाद होश में आएगा, लेकिन उसे होश नहीं आया। उसने अगले दिन डॉक्टर से प्रवीण के स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो उसने कहा कि होश आने में कई दिन भी लग सकते हैं।
19 जनवरी को डॉक्टर ने कहा कि प्रवीण कोमा में है। उसको होश में आने में छह माह या एक साल भी लग सकता है। जब उन्होंने सख्ती से डॉक्टर से प्रवीण की हालत के बारे में पूछा तो इन्होंने कहा कि उसकी हालत बेहद गंभीर है। अगर उसको अस्पताल में रखोगे तो प्रतिदिन के हिसाब से 40 हजार रुपये उन्हें देने पड़ेंगे। उसी दिन शाम को उन्हें प्रवीण की मौत का आभास हो गया था, लेकिन डॉक्टर उसके वेंटिलेटर पर होने की बात कहते रहे। 20 जनवरी शाम साढ़े पांच बजे डॉ. सुशांत ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने उन्हें प्रवीण के इलाज को लेकर गुमराह किया है। पहले डॉक्टर कहते रहे कि उसे जल्द ठीक कर देंगे। फिर उसके कोमा में होने की बात कहकर इलाज से पल्ला झाड़ लिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अस्पताल के स्टाफ ने उनके साथ गाली गलौज की। उनकी पुलिस से मांग है कि आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाए।
नवीन ने बताया कि प्रवीण की मौत के बाद अस्पताल के स्टाफ ने उसका कागजों पर अंगूठा लगवाया। जब उन्होंने इस बारे में स्टाफ से पूछा तो वह यह कागज लेकर वहां से भाग गए।
डॉ. सुशांत दत्त ने बताया कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार है। जब उनके पास मरीज आया तो वह पैरालाइज्ड था। उसके दिमाग की नसें खराब हो गई थी। उसके सिर में पानी की मात्रा भी काफी अधिक थी। प्रवीन का 23 साल की उम्र में अदरंग ग्रस्त होना आश्चर्यजनक था। उन्होंने इमरजेंसी में उसका ऑपरेशन किया है। इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। जांच में यह साबित किया जा सकता है।