उत्तर प्रदेश के कन्नौज में दर्दनाक हादसा हुआ जिसमे 5 लोगो की मौत हो गई। जिसके तीन प्रमुख कारण नशा, नींद और रफ्तार है। पुलिस और यूपीडा की प्रारंभिक जांच में कन्नौज में हुए हादसे में ये तीनों ही कारण निकलकर सामने आए हैं। साथी डॉक्टर के भाई की शादी से लौट रहे सैफई मेडिकल कॉलेज के पीजी डॉक्टरों ने बीयर भी पी रखी थी। स्कॅर्पियो में एक खाली कैन भी मिली है। दूसरा कारण सुबह के समय नींद आना है। झपकी लगते ही पांच जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। एक जिंदगी-मौत से संघर्ष कर रहा है। तीसरा कार की रफ्तार भी 130 किमी प्रतिघंटा थी, जो एक्सप्रेसवे के मानक से अधिक थी। पुलिस इन्हीं बिंदुओं पर जांच कर रही है।
यूपीडा के नोडल अधिकारी राजेश पांडेय ने हादसे की जांच के आदेश मुख्य सुरक्षा अधिकारी को दिए तो वहीं एसपी ने भी तिर्वा कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह को जांच सौंपी। रिपोर्ट डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने भी तलब की है। इस हादसे में ट्रक चालक की गलती नहीं दिखाई दे रही है। वह अपनी लेन पर सही दिशा में जा रहा था। यूपीडा के सुरक्षा अधिकारी ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि हादसे के सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है, जल्द ही रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी जाएगी।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे की जांच में जुटी पुलिस ने बताया कि बुधवार की रात को 2.16 लखनऊ टोल प्लाजा से कार गुजरी थी। बताया कि करीब 3.30 मिनट पर कोतवाली क्षेत्र के 196 कट पर हादसा हुआ। कार सवार ने करीब 110 किलोमीटर की दूरी एक घंटा 14 मिनट में तय की। जानकारों के हिसाब से हादसे के समय कार की करीब 130 किलोमीटर की स्पीड रही होगी। यूपीडा की टीम भी जांच कर रही है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) लखनऊ के नोडल अधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि हादसे के बाद यूपीडा के मुख्य सुरक्षा अधिकारी से जांच कराई गई तो कार की स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा पाई गई। चालक को झपकी आने तथा कार की गति अधिक होने के कारण यह हादसा हुआ है।
एक्सप्रेस-वे पर कार के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित है। कोहरा होने पर दृश्यता के अनुसार गति सीमा को 40 किमी प्रतिघंटा कम कर दिया गया है। ऐसे में गति 60 किमी प्रति घंटा से कम रखनी चाहिए। हालांकि हादसे के समय कोहरा अधिक नहीं था।
हादसे में घायल डॉ. जयवीर सिंह को इलाज के लिए सुबह ही उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के इमरजेंसी में ले आया गया था। यहां उनके इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। शाम करीब साढ़े छह बजे हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस से गुरुग्राम मेदांता ले जाया गया।
डॉ. जयवीर सिंह की पत्नी डॉ. नीलम गैस्ट्रो विभाग में तैनात हैं। वह आठ माह की गर्भवती हैं। वह हादसे की जानकारी के बाद बदहवास हो गईं। साथी डॉक्टरों और वरिष्ठों ने उन्हें सांत्वना देकर डॉ. जयवीर के जल्द स्वस्थ होने का ढांढस बांधा।
मौके पर पहुंचे डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल, एसपी अमित कुमार आनंद, एसडीएम अशोक कुमार, तहसीलदार अवनीश सिंह, सैफई एसडीएम कौशल किशोर व सीओ पहुप सिंह समेत अन्य अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर घटना की जानकारी ली और परिजनों से मिल ढांढस बंधाया। वहीं, पोस्टमार्टम हाउस में भी कई बड़े अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहा।