Ajmer Dargah PM Modi: अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह में चादर भेजने की परंपरा को जारी रखने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह परंपरा 1947 से चली आ रही है. आजादी के बाद से हर प्रधानमंत्री ने सालाना उर्स के मौके पर चादर भेजी है. नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद इस परंपरा को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया है. यह हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है.
सैयद चिश्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर साल पूरी अकीदत के साथ चादर भेजते हैं. इस बार भी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंपने की योजना है. उन्होंने इसे देश की एकता और भाईचारे का प्रतीक बताया. “यह उन लोगों के लिए एक संदेश है, जो मंदिर-मस्जिद के विवाद को हवा देकर समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का सिद्धांत हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब को मजबूत करता है.”
धर्मनिरपेक्षता और समभाव का उदाहरण
सैयद चिश्ती ने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजने की परंपरा देश की धर्मनिरपेक्षता और समभाव को दर्शाती है. उन्होंने कहा, “यह हमारी सभ्यता का हिस्सा है कि हम हर धर्म और हर सूफी संत का सम्मान करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी इस परंपरा को न केवल निभा रहे हैं, बल्कि इसे और मजबूती भी दे रहे हैं.”
स्विट्जरलैंड में बुर्के पर प्रतिबंध पर विचार
स्विट्जरलैंड में बुर्के पर लगे प्रतिबंध पर चिश्ती ने कहा, “यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है. स्विट्जरलैंड की सरकार ने जो फैसला लिया है, उसे पूरी जानकारी के साथ समझने की जरूरत है. हिजाब एक महिला का बुनियादी अधिकार है. किसी महिला को इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अगर कोई स्वेच्छा से हिजाब पहनना चाहती है, तो उसे रोकना गलत है. यह महिलाओं के अधिकारों का मामला है.”
प्रधानमंत्री का प्रयास और समाज को संदेश
सैयद चिश्ती ने प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “यह कदम देश में सामाजिक सौहार्द और एकता को बढ़ावा देता है. यह उन लोगों के लिए जवाब है, जो धर्म के नाम पर विवाद खड़ा कर रहे हैं. हमें इस संदेश को समझना चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए.”