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कैंसर एक ऐसी घातक बीमारी है जिसके होने पर इसका इलाज कराने में बेहिसाब खर्च होता है। इसके साथ ही इलाज के दौरान जो कष्ट झेलना पड़ता है। 
विज्ञानी तकनीक और शोध के सहारे कैंसर के इलाज को लेकर नित नई सफलता भी पा रहे हैं। जिससे इसका इलाज अब पहले के मुकाबले ज्यादा सुलभ हुआ है, लेकिन कई तरह के कैंसर अभी भी ऐसे हैं। जिनके इलाज के लिए होने वाली शल्य क्रिया में रोगी के अंग का विच्छेदन तक करना पड़ जाता है, लेकिन अब विशेष तौर से त्वचा के कैंसर से ग्रस्त रोगियों को अंग विच्छेदन की पीड़ा से नहीं गुरजना पड़ेगा।
रोहतक स्थित पं. भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (पीजीआइएमएस) के अस्थि रोग विभाग के सह आचार्य डॉ. उमेश यादव ने त्वचा के कैंसर से ग्रसित रोगियों के इलाज में लिए चार साल की मेहनत के बाद ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके कारण अब रोगी का ऑपरेशन के दौरान हाथ काटने की नौबत नहीं आएगी।
गौर करने की बात है कि अभी तक उन्होंने जितने भी ऑपरेशन किए हैं उनमें से किसी भी मरीज में दोबारा कैंसर नहीं हुआ है। कैंसर रोगियों के ऑपरेशन की यह तकनीक न सिर्फ रोगी का हाथ कटने से बचाती है बल्कि इसमें आने वाला खर्च भी बेहद कम है।

यह सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा तकनीक के जरिये किया जाता है। जिससे अब कैंसर रोगियों को नई उम्मीद बंधी है। क्योंकि अभी तक जो सर्जरी की जाती है। उसमें कैंसर फैलने से रोकने के लिए रोगी का हाथ काटना पड़ जाता था। अभी तक 12 कैंसर रोगियों की सर्जरी की गई।
सर्जरी के बाद लगातार इन रोगियों का फॉलोअप किया गया। कीमोथेरेपी के बाद सभी पूरी तरह से ठीक हो गए। किसी भी मरीज में अभी तक कैंसर सेल दोबारा नहीं आए हैं।

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