वाराणसी में फिरौती के लिए अपहरण और डकैती व हत्या के प्रयास के दो अलग-अलग मामलों में 18 साल से वांछित बदमाश को एसटीएफ की वाराणसी यूनिट ने महाराष्ट्र के थाणे से गिरफ्तार किया है। बदमाश की पहचान उन्नाव जिले के बारा सगवर थाने के आलमपुर निवासी सतीश उर्फ अजीत के रूप में हुई है। सतीश पर भदोही जिले की पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। वहीं, वाराणसी पुलिस ने ढाई हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
सतीश उर्फ अजीत के खिलाफ वर्ष 2006 में भदोही थाने में डकैती और हत्या के प्रयास के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। वर्ष 2007 में उसके खिलाफ वाराणसी के भेलूपुर थाने में फिरौती के लिए अपहरण के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।
एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मुखबिर की मदद से पता लगा कि सतीश थाणे के एमआईडीसी बागले इस्टेट इलाके में रह रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ के दरोगा शहजादा खां, हेड कांस्टेबल विनय मौर्या, सत्यपाल व दिलीप कश्यप और सिपाही रवि सिंह व राजकुमार की एक टीम थाणे के लिए रवाना की गई। एसटीएफ की टीम ने सतीश को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार सतीश को थाणे की अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर भदोही लाया जा रहा है।
सतीश उर्फ अजीत ने पूछताछ में बताया कि वह आठवीं तक पढ़ने के बाद दिल्ली में कपड़े की फैक्ट्री में काम करता था। वहां भदोही के एक युवक से उसकी दोस्ती हुई। वर्ष 2005 में वह उसके साथ भदोही आया और ज्ञानपुर जेल के पास स्थित उसके घर गया। 50-50 हजार रुपये के लालच में दोनों चोरी की मारुति कार ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में पुलिस ने पकड़ कर जेल भेज दिया। ज्ञानपुर जेल में वह तीन महीने रहा।
जेल में ही दीपक सिंह बेहड़ा से उसकी जान-पहचान हुई। कार इलाहाबाद से चोरी हुई थी। इसलिए बाद में उसे इलाहाबाद जेल शिफ्ट कर दिया गया। जमानत पर छूटने के बाद वह दीपक सिंह बेहड़ा के घर गया। वर्ष 2006 में भदोही के गजिया गांव स्थित भारतीय स्टेट बैंक में अपने साथियों के साथ डकैती डाली। इसके बाद वह दिल्ली भाग गया। वर्ष 2007 में दीपक ने उसे वाराणसी से एक पेट्रोल पंप मालिक के बेटे का अपहरण करने को कहा।
अपहरण करने पर तीन लाख रुपये मिलने की बात तय हुई थी। दीपक ने उसकी मुलाकात उमेश पहलवान से कराई। इसके बाद वह दीपक के गांव बेहड़ा में सर्वेश सिंह के यहां रहा। बोलेरो से अपने साथियों के साथ वाराणसी आकर पेट्रोल पंप मालिक के बेटे का अपहरण किया। हालांकि पुलिस ने अपहृत को बरामद कर उमेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
सतीश ने बताया कि अपहरण की घटना के बाद वह अपने भाई दिलीप के पास लखनऊ भाग गया था। उसके बाद मध्य प्रदेश के सतना गया और वहां लगभग 10 साल तक टेलर का काम किया। सतना में ही कंचन सेन से उसे प्यार हो गया। उसी दौरान उसने अपना आधार कार्ड सतीश कोरी के बजाय सतना के हनुमान नगर, नई बस्ती निवासी सतीश तिवारी के नाम से बनवाया। फिर वह मुंबई चला गया और ड्राइवर का काम करने लगा। वहीं कंचन सेन से मंदिर में शादी की। इसके बाद थाणे के आजाद नगर, ब्रम्हांड मढ़वाली में किराये पर कमरा लेकर पत्नी के साथ रहने लगा। उसे बाद में जानकारी हुई कि दीपक सिंह बेहड़ा और उमेश पहलवान पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं और उसके अन्य साथी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।