नागरिक अस्पताल के शवगृह में चार दिन तक उनका शव अंतिम संस्कार के इंतजार में रहा। जब उनकी बेटी, पत्नी और बहनों को उनकी मौत की सूचना दी गई, तो उन्होंने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। इसके बाद मंगलवार शाम को जन सेवा दल के सदस्यों ने असंध रोड स्थित शिवपुरी में उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज से किया।
मिली जानकारी के अनुसार, 84 वर्षीय अमरजीत की अज्जीजुलापुर गांव में 5 से 8 एकड़ जमीन थी और मॉडल टाउन में उनकी कोठी थी। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटी और दो बहनें थीं। अमरजीत ने अपनी जमीन बेचकर बेटी को पढ़ाया और उसकी शादी अच्छे खानदान में करवाई। इसके बाद उनकी पत्नी बेटी के साथ उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में चली गईं। उनकी एक बहन अमेरिका और दूसरी दिल्ली में रहने लगीं और अमरजीत को पानीपत के एक वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया। 2022 में अमरजीत आश्रम में बीमार हो गए तो आश्रम के लोगो ने उन्हें जन सेवा दल के अपना आशियाना में भेज दिया। जन सेवा दल के सदस्यों ने उनका इलाज कराया और अपने पास रखा। अचानक अमरजीत की तबीयत बिगड़ गई। जन सेवा दल के सचिव चमन गुलाटी ने उन्हें जिला नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी मौत हो गई।
जन सेवा दल के महासचिव चमन गुलाटी ने बताया कि अमरजीत ने अपना पूरा जीवन परिवार के लिए कुर्बान कर दिया। जमीन बेचकर उन्हें करोड़ों रुपये दिए। अब परिवार के लोग उनके अंतिम संस्कार में भी आने से इंकार कर रहे हैं। बेटी, पत्नी और बहनों को अमरजीत की मौत की सूचना दी गई, लेकिन उन्होंने कहा कि वे अंतिम संस्कार में नहीं आ सकते। उन्हें अमरजीत का मृत्यु प्रमाण पत्र भेज देना। इसके बाद मंगलवार को अमरजीत का हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।