वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस 26 साल पुराने रेल पटरी के टुकड़े से टकराई थी। रेलवे की जांच में यह नया मोड़ सामने आया है। इंजन से टकराकर लोहे की पटरी के तिरछा होने की आशंका है, जिसकी वजह से इंजन के पीछे जेनरेटर यान और पीछे की बोगियों के नीचे रगड़ने के निशान बनते गए। 
इसी की वजह से इंजन के आगे और पीछे लगा कैटल गार्ड टूट गया। इस तरह की पटरी का इस्तेमाल करीब 26 साल पहले ट्रैक में किया जाता था। इसे 90 आर रेल कहते हैं। यह पटरी 1998 तक इस्तेमाल की जाती थी।

वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस 16 अगस्त देर रात करीब ढाई बजे गोविंदपुरी से भीमसेन स्टेशन के बीच बोल्डर से टकराकर पटरी से उतर गई थी। मामले में पनकी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है। 
घटना के पीछे साजिश की आशंका पर एटीएस, क्राइम ब्रांच, आईबी, एनआईए भी पड़ताल कर रहीं हैं। रेलवे की ओर से एसएजी की पांच सदस्यीय टीम का गठन हुआ है। सदस्यों ने कानपुर में तीन दिन रुक कर लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट, गार्ड समेत कई लोगों के बयान लिए।

घटनास्थल की जांच की और इंजन के स्पीडोमीटर आदि को देखा। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि एसएजी की रिपोर्ट तैयार हो रही है। इसमें जांच के साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने का प्लान भी रहेगा। यह अध्ययन पूरी तरह से तकनीकी होगा।

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