राजधानी में मतदान पूरा होने के साथ ही सियासी गुणा-भाग का दौर शुरू हो गया। राजनीतिक पार्टियों में जीत-हार को लेकर मंथन के लिए शाम होते ही बैठकें शुरू हो गईं थीं। प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला तो 4 जून को ही तय होना हैं, लेकिन तीनों प्रमुख राजनीतिक दल जीत के अपने-अपने फार्मूलों पर चर्चा में व्यस्त रहे।
वोटिंग प्रतिशत और वोटिंग पैटर्न को लेकर राजनीतिक पार्टिया मंथन कर रही हैं। सभी लोकसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में हुए मतदान को भाजपा दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ मान रही है। यह भी दावा है कि प्रधानमंत्री को तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के लिए जनता घरों से बाहर निकली है। वहीं, गठबंधन यह मानकर चल रहा है कि दिल्ली के मतदाता गठबंधन की वजह से छिटके नहीं हैं। बदलाव के लिए लोग घरों से बाहर निकले हैं और बढ़चढ़कर मतदान किया है। मतदाताओं को एक नया विकल्प मिला है।
युवा, महिला और मध्य वर्ग के बढ़-चढ़कर वोटिंग करने से राजनीतिक पार्टियों की आस बंधी है। भाजपा का दावा है कि मोदी लहर लगातार तीसरे चुनाव में भी कायम है। राम मंदिर को लेकर युवाओं, महिलाओं और मध्य वर्ग में जोश है। भ्रष्टाचार की वजह से युवा वर्ग कांग्रेस से तो पहले ही कटा था, अब आम आदमी पार्टी से भी दूर चला गया है। खासकर गठबंधन होने से तीनों वर्ग भाजपा के पक्ष में आ गए हैं। वहीं, आप व कांग्रेस रणनीतिकारों का कहना है कि युवा और महिलाओं ने बदलाव के संकेत दिए हैं। महिलाएं केजरीवाल को गिरफ्तार करने से नाराज हैं और सहानुभूति लहर में वोट देने निकली हैं। सस्ती बिजली-पानी मिलने से उन्हें राहत दिल्ली में मिल रही है।
झुग्गी और अनधिकृत कॉलोनियों के वोटरों को लेकर भी राजनीतिक दलों का अपना फार्मूला है। भाजपा का कहना है कि दिल्ली के शहरी आबादी वाले मतदाता हों या कॉलोनी में रहने वाले, उन्हें पता है कि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री बनाने के लिए होता है। स्थानीय समस्या के लिए एमीसडी व विधानसभा चुनाव होता है। पिछले कई चुनाव में यह देखा भी गया है। लिहाजा, न केवल अनधिकृत कॉलोनियां, बल्कि झुग्गी झोपड़ी के मतदाताओं ने भी मोदी में विश्वास व्यक्त करके वोट दिया है।
भाजपा यह मान कर चल रही है कि कांग्रेस और आप के गठबंधन की वजह से दोनों पार्टियों के परंपरागत वोट में सेंध लगी है। एक दूसरे की खिलाफत करने वाली पार्टियों एक मंच पर आने से लोगों में नाराजगी है, क्योंकि कांग्रेस कैडर को यह चिंता सता रही है कि उनका वजूद ही आने वाले समय न खत्म हो जाए। कार्यकर्ताओं में भी इस बात को लेकर नाराजगी है, यही वजह है कि कई इलाकों में बूथ खाली नजर आए। वहीं, गठबंधन इस बात को लेकर खुश है कि सत्ता से दूर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। उन्हें भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार को मजबूती के साथ लोकसभा तक पहुंचाने का मौका है।