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लड्डू गोपाल को श्री कृष्ण के बाल रूप में पूजा जाता है आज घर घर में इनकी पूजा होती है, अब कृष्ण संप्रदाय ने इसके लिए नियम भी बनाए है, एक नियम है कि कान्हा का भोग तुलसी के बिना नहीं लगता, यानी तुलसी के पत्तो के साथ ही बाल गोपाल को भोग लगाता जाता है.  एक कथा ये भी है कि लड्डू गोपाल को तुलसी की पत्तियां चढ़ाना बहुत शुभ होता है और इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है। तुलसी के बिना भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण या लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी मानी जाती है।

लेकिन इसके भी नियम है, आमतौर पर हम तुलसी की पत्तियां तुरंत ही तोड़कर लड्डू गोपाल को अर्पित करते हैं, लेकिन एक सवाल या भी उठता है कि यदि किसी कारणवश आप तुलसी की ताजी पत्तियां कान्हा को नहीं चढ़ा पा रहे हैं तो क्या पहले से रखी बासी तुलसी भी भगवान कृष्ण को चढ़ाई जा सकती है। 

 

 

तो आइए जानते है इसका अर्थ..

तुलसी को सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है।  जब कृष्ण जी के पूजन की बात आती है तो पूजा से लेकर प्रसाद तक में तुलसी की पत्तियां जरूर अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि तुलसी की पत्तियों के बिना श्री कृष्ण का पूजन पूर्ण नहीं होता है। 

 

तुलसी की पत्तियां भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं और विष्णु जी के ही प्रतीक सालिग्राम का तुलसी से विवाह भी संपन्न किया जाता है। तुलसी की पत्तियां भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए विष्णु पूजा में इसका उपयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी कारण से तुलसी की ताजी पत्तियां भगवान को अर्पित करने का विधान है। मान्यता है कि तुलसी की ताज़ी पत्तियां ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का प्रतीक होती हैं।

आमतौर पर पूजा के लिए अगर तुलसी की पत्तियां ताजी न हों और बासी हो जाएं, तो उनका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर आप तुलसी की पत्तियां तोड़ने में असमर्थ हैं जैसे यदि पूजा रविवार या एकादशी के दिन हो तो आप पहले से तोड़ी हुई पत्तियां लड्डू गोपाल को चढ़ा सकती हैं। लेकिन अन्य दिन तुलसी की ताजा पत्तियां भी भोग में लगाई जाती है. 

 

 

जानकारी के लिए बता दें कि बासी तुलसी की पत्तियों का उपयोग केवल एक ही स्थिति में किया जा सकता है, जब आप उन्हें पानी में भिगोकर संरक्षित कर रहे हों। अगर तुलसी की पत्तियां किसी कारण से सूख गई हैं या कटी हुई हैं तो पूजा में इस्तेमाल न करें।

वहीं अगर आप एकादशी या रविवार के दिन पूजा कर रहे हैं और तुलसी की पत्तियां लड्डू गोपाल को भोग में चढ़ानी जरूरी हैं तो आप एक दिन पहले ही सूरज ढलने के पहले पत्तियां तोड़कर तांबे के लोटे में जल भरकर रख दें। अगले दिन पूजन में इन्हीं पत्तियों का इस्तेमाल करें।

यानी रविवार और एकादसी को छोड़ बाकि दिन आपको तुलसी ताजी ही भगवान को चढानी हैस बाकि ये दो दिन आप एख दिन पहले तोड़कर पानीमें भिगो कर रख सकते है. 

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