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स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव एवं आयुक्त पंकज अग्रवाल ने कहा कि 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी भावी वैज्ञानिकों के विकास के लिए मिल का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और लद्दाख से अंडमान निकोबार तक के बाल वैज्ञानिकों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि यह बाल वैज्ञानिक भविष्य में अपने नए शोध कार्यों के साथ आगे बढ़ेंगे और देश को विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में आगे लेकर जाएंगे। श्री अग्रवाल मंगलवार को प्रदर्शनी के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी नए शोध व नवाचार को लेकर भविष्य के लिए नए वैज्ञानिक तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि 5 दिन चली इस प्रदर्शनी का अनुभव हरियाणा के लिए बेहतरीन रहा है। उन्होंने कहा कि 27 साल बाद इस प्रतियोगिता की मेजबानी हरियाणा को मिली और यहां 30 हजार से ज्यादा बच्चों ने पहुंचकर देशभर के बाल वैज्ञानिकों के मॉडलों को देखा और सराहा है। उन्होंने इस आयोजन के लिए एनसीईआरटी के अधिकारियों का धन्यवाद भी किया।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक जितेंद्र दहिया ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और कहा कि यह प्रदर्शनी वाकई में बेहतरीन रही है। उन्होंने कहा कि बरसात के बावजूद 30000 से ज्यादा बच्चों का प्रदर्शनी में पहुंचना उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों के लिए लगातार कार्य करता रहेगा। उन्होंने प्रदर्शनी में पहुंचे सभी बच्चों व शिक्षकों का भी धन्यवाद किया।
 खेल विश्वविद्यालय के वीसी अशोक कुमार ने साइबर खतरों से बचाव की रणनीतियों, डेटा गोपनीयता के महत्व, और डिजिटल दुनिया की बढ़ती चुनौतियों पर चर्चा की 
 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के पांचवें दिन भी अलग-अलग क्षेत्र में विभिन्न गोष्ठियों का आयोजन किया गया। हरियाणा खेल विश्वविद्यालय राई के कुलपति अशोक कुमार द्वारा साइबर सुरक्षा के महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने साइबर खतरों से बचाव की रणनीतियों, डेटा गोपनीयता के महत्व, और डिजिटल दुनिया की बढ़ती चुनौतियों पर चर्चा की। उनके संवाद ने साइबर युग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता और सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. पुनीत शर्मा के विचारोत्तेजक सत्र से हुई, जिन्होंने कचरा प्रबंधन और जल संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ई-कचरा और प्लास्टिक कचरे के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभावों को रेखांकित किया और बेहतर प्रबंधन के लिए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। डॉ. शर्मा ने अत्यधिक मोबाइल उपयोग के मस्तिष्क पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा की और छात्रों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें स्मृति और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सुबह जल्दी उठने की सलाह शामिल थी। उन्होंने ज्वालामुखियों की भूमिका, पृथ्वी के विकास में उनकी भूमिका और अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं जैसे रोचक विषयों पर भी प्रकाश डाला।
 संयुक्त निदेशक सुनील बजाज, एससीईआरटी, गुरुग्राम द्वारा आयोजित किया गया, जिन्होंने ग्रोथ माइंडसेट विकसित करने पर एक इंटरएक्टिव वार्ता दी। पहेलियों और गणितीय चुनौतियों की एक श्रृंखला के माध्यम से, उन्होंने छात्रों को संलग्न किया और उन्हें आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान को प्रोत्साहित किया।
 डॉ. मयंक वर्मा, संयुक्त राज्य परियोजना निदेशक, एचएसएसपीपी (एचसीएस) ने जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित ज्वलंत मुद्दों को संबोधित किया। उन्होंने मानव गतिविधियों और पारिस्थितिक तंत्र के बीच परस्पर निर्भरता को उजागर किया और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने के लिए टिकाऊ प्रथाओं पर अंतर्दृष्टि प्रदान की। डॉ. वर्मा के प्रेरक वक्तव्य ने प्रतिभागियों को एक हरित भविष्य के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया।प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएं:
थीम: कम्प्यूटेशनल थिंकिंग
रोबो बिन (Robo Bin)
यह नवाचार गोवा के कार्मेल हायर सेकेंडरी स्कूल की ऋषिका जमुनी द्वारा, मार्गदर्शक सुश्री प्रिया देसाई के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। इस प्रणाली ने गीले और सूखे कचरे को स्वचालित रूप से अलग करने के लिए एक विशेष तंत्र का प्रदर्शन किया। इस परियोजना ने कचरे के पुनर्चक्रण, लैंडफिल में कमी, और संसाधन संरक्षण को बढ़ावा दिया।
फील्ड फोरकास्ट एआई (Field Forecast AI)
सुहान और विश्वराज, सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, गुजरात के छात्र, मार्गदर्शक डॉ. राजेश पटेल के निर्देशन में, इस परियोजना ने एआई और मौसम विज्ञान का उपयोग करके किसानों को फसलों के प्रकार का पूर्वानुमान लगाने और उपयुक्त फसलों का चयन करने में मदद की। इस तकनीक ने मौसम डेटा, मृदा पोषक तत्वों और पीएच स्तरों के आधार पर खेती में नई संभावनाएं दिखाई।
साइन लैंग्वेज ट्रांसलेटर ग्लव (Sign Language Translator Glove)
दिल्ली के सर्वोदय विद्यालय के चिराग कुमार और आइशा द्वारा प्रदर्शित और मार्गदर्शिका सुश्री कविता रानी के निर्देशन में, यह पहनने योग्य उपकरण बोलने में अक्षम व्यक्तियों की सहायता के लिए डिजाइन किया गया। यह उपकरण साइन लैंग्वेज को आवाज में अनुवाद करने के लिए फ्लेक्स सेंसर और ओम के नियमों का उपयोग करता है।
आयन थ्रस्टर (Ion Thruster)
असम के ढोलबगान हायर सेकेंडरी स्कूल के सुभ्रनिल हैंडिक और सिबानी गोगोई द्वारा विकसित, मार्गदर्शक डॉ. अनिर्बान चौधरी के निर्देशन में, इस परियोजना ने प्रदूषण-मुक्त अंतरिक्ष प्रणोदन प्रणाली का परिचय दिया। आयनीकरण और आयन प्रणोदन का उपयोग करके, इस प्रणाली का लक्ष्य उपग्रह रखरखाव और ग्रहों के बीच यात्रा को अधिक कुशल बनाना था।
मॉडर्न इंजीनियरिंग में ओरिगेमी (Origami in Modern Engineering)
तमिलनाडु के एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल की टी.ए. श्रीश्टा द्वारा प्रस्तुत, मार्गदर्शक श्री अरुण कुमार के निर्देशन में, इस परियोजना ने दिखाया कि ओरिगेमी से प्रेरित तकनीकें सामग्री की ताकत को कैसे बढ़ाती हैं और इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों, विशेष रूप से चिकित्सा और सैन्य क्षेत्रों में स्थान का अनुकूलन करती हैं।

 

 

विशेष उल्लेख: LIFE इनोवेशन
सैनिटईज चेयर (SanitEase Chair)
राजस्थान के महात्मा गांधी सरकारी स्कूल की अंकिता यादव द्वारा बनाई गई इस अभिनव कुर्सी का उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना था। यह एक गरिमापूर्ण शौचालय, एसओएस अलार्म सिस्टम, और गतिशीलता घटकों जैसी सुविधाओं से सुसज्जित थी। इस परियोजना ने समावेशन और पहुंच को उजागर किया।

 

 

निपुण हरियाणा स्टॉल्स
पाँच जिलों ने 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में अपने अभिनव टीएलएम (टीचिंग-लर्निंग मटेरियल्स) प्रस्तुत किए। प्रत्येक स्टॉल ने प्राथमिक स्तर पर बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक कौशल में सुधार लाने के लिए अनूठे दृष्टिकोण प्रदर्शित किए:
गुरुग्राम
गुरुग्राम स्टॉल में माथ मैजिक बॉक्स जैसे रचनात्मक उपकरण दिखाए गए, जो कटआउट्स के माध्यम से बच्चों को सम और विषम संख्या सिखाते हैं। इसके अतिरिक्त, निपुण छाता, जिसमें अक्षरों और गिनती की दृश्यात्मकता शामिल थी, प्रमुख आकर्षण रहा। इसके अलावा, मिट्टी के खिलौने और भाषा विकास के लिए एक्टिविटी बुकलेट्स भी प्रदर्शित की गईं।
पानीपत
पानीपत स्टॉल ने मौखिक भाषा और संज्ञानात्मक कौशल विकसित करने के लिए अभिनव और इंटरैक्टिव तकनीकों पर जोर दिया। मुख्य आकर्षण शैडो पपेट शो था, जो पाठ्यपुस्तकों और साहित्य से कहानियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है। इस गतिविधि ने बच्चों को उनकी ज्ञानेन्द्रियों और श्रवण कौशल को सक्रिय करने के लिए प्रेरित किया, जिससे उनकी समझ और कथा कौशल में सुधार हुआ। इसके अतिरिक्त, चित्र शब्द निर्माण जैसी रचनात्मक गतिविधियाँ और अज्ञात से ज्ञात पाठ ने बच्चों को अनजान सामग्री का अर्थ निकालने में मदद की। व्याकरण को सुधारने के लिए संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण पहचान जैसी गतिविधियाँ पेश की गईं। गणित-आधारित टीएलएम ने बच्चों को स्थानिक शब्द (जैसे पास, दूर, अंदर, बाहर) और ज्यामितीय आकृतियों का उपयोग करके पहेली हल करने के लिए प्रेरित किया।
झज्जर
झज्जर स्टॉल ने जोड़ मशीन जैसे उपकरण दिखाए, जो छोटे बच्चों को जोड़ और आरोही-अवरोही क्रम के बारे में सिखाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, पजल सॉल्वर जैसे उपकरणों ने बच्चों की संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ावा दिया। अंग्रेजी शिक्षण के लिए “इस-एम-आर” टीएलएम ने सरल वाक्य निर्माण में मदद की, जिससे उनके व्याकरण और भाषा कौशल में सुधार हुआ।
रोहतक
रोहतक स्टॉल ने गणित और अंग्रेजी भाषा विकास पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें आरोही और अवरोही क्रम, सम और विषम संख्या, और मेजिक बॉक्स जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं, जो कक्षा 2–5 के छात्रों को संख्याओं और उनके संबंधों को समझने में मदद करती हैं। अंग्रेजी के लिए, “इस-एम-आर” गतिविधि ने एकवचन और बहुवचन रूप सिखाने के लिए डिज़ाइन की गई थी, जिससे वाक्य निर्माण कौशल में सुधार हुआ।
सोनीपत
पपेट शो (चटर पटर), जिसे सुश्री टीना और सुश्री रचना ने लाइव प्रदर्शित किया, प्रमुख आकर्षण था। इस गतिविधि ने बालवाटिका-III से कक्षा 2 तक के छात्रों के लिए मौखिक भाषा विकास और संचार कौशल में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया।
एक अन्य मुख्य आकर्षण मेरी बालवाटिका सेटअप था, जिसमें मिनी अल्फाबेट मैट्स, व्यंजन मैट्स, और गिनती मैट्स जैसे टीएलएम शामिल थे। ये विशेष रूप से बालवाटिका-III और कक्षा 1 के छोटे बच्चों के लिए डिज़ाइन किए गए थे, जो बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता को सीखने का एक दिलचस्प और इंटरैक्टिव तरीका प्रदान करते हैं।
प्रत्येक स्टॉल ने निपुण हरियाणा मिशन के बुनियादी शिक्षा को बढ़ाने के दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया।
समापन कार्यक्रम
पाँचवे दिन का समापन एक भव्य समापन समारोह के साथ हुआ, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।  आयुक्त एवं सचिव स्कूल शिक्षा (C&SSE), श्री पंकज अग्रवाल ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि पाँच दिनों में इस प्रदर्शनी में 25,000-30,000 छात्र शामिल हुए और 400 प्रदर्शकों ने पाँच मुख्य विषयों— स्वास्थ्य, LIFE (पर्यावरण के लिए जीवनशैली), कृषि, संचार और परिवहन, तथा कंप्यूटेशनल थिंकिंग के तहत अपने प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए।
उन्होंने 400 युवा वैज्ञानिकों और NCERT, NSQF, और निपुण हरियाणा के स्टॉल्स की सराहना की, जो अपनी अंतर्दृष्टिपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए उल्लेखनीय थे। श्री अग्रवाल ने अपनी यात्रा के दौरान देखे गए 60-70% स्टॉल्स की असाधारण नवाचारों की भी प्रशंसा की। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में होने वाली प्रदर्शनी में NCERT के प्रोडक्शन-स्टेज इनोवेशन के लिए स्टॉल्स शामिल किए जाएं और प्रतिष्ठित संस्थानों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने छात्रों को अध्ययन और नवाचार जारी रखने के लिए प्रेरित किया और उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
समापन समारोह में NCERT की उपनिदेशक, श्रीमती सुनीता का प्रेरणादायक भाषण भी शामिल था। उन्होंने आयोजकों और प्रतिभागियों के समर्पण और उत्साह की प्रशंसा की। उत्कृष्ट परियोजनाओं और सक्रिय भागीदारी को मान्यता देने के लिए प्रमाणपत्र और पुरस्कार वितरित किए गए। समारोह एक उत्साहजनक और उत्सवपूर्ण नोट पर समाप्त हुआ, जिसने सभी उपस्थित लोगों पर एक स्थायी छाप छोड़ी।
 पांचवें दिन 6000 छात्रों ने किया प्रदर्शनी का अवलोकन 
पांचवें दिन 6,000 छात्रों ने भाग लिया, जो रोहतक, पलवल, झज्जर, करनाल, फरीदाबाद और सोनीपत जिलों से आए थे। इसके साथ ही, 28 राज्यों से आए 400 युवा विज्ञान प्रदर्शकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह कार्यक्रम छात्रों के लिए अपने वैज्ञानिक विचारों को खोजने, नवाचार करने और साझा करने के लिए एक आकर्षक मंच प्रदान करता रहा। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव एवं आयुक्त पंकज अग्रवालने विभिन्न थीम क्षेत्रों के स्टॉलों का दौरा किया, छात्र वैज्ञानिकों से बातचीत की, उनके नवाचारों का अवलोकन किया और प्रेरक शब्दों के साथ उनका उत्साहवर्धन किया।

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